Goiter Home Remedies in Hindi: कई तरह के रोग बिगड़ी हुई दिनचर्या और स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही से होते हैं। घेंघा ऐसा ही एक रोग है। हम अक्सर घेंघा रोग का शिकार हो जाते हैं क्योंकि हम अपने नियमित खान-पान पर ध्यान नहीं देते हैं और समय-समय पर पूरे शरीर का चेकअप नहीं करते हैं। आपने घेंघा और गोइटर के बारे में सुना होगा, लेकिन क्या आप घेंघा के लक्षणों और कारणों को जानते हैं? नहीं! यही कारण है कि इस लेख में हम घेंघा रोग की पूरी जानकारी देंगे। हम घेंघा के लिए घरेलू उपायों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
घेंघा रोग क्या है?
गोइटर एक स्वास्थ्य समस्या है जिसमें थायरॉइड ग्रंथि का आकार बढ़ जाता है। यह बड़े साइज के गांठ के रूप में दिखाई देता है जो गले के नीचे की ओर स्थित होता है। यह आमतौर पर योग्य आहार और उपयुक्त थायरॉइड हारमोन के अभाव से होता है। गॉइटर के लक्षण में गले में सूजन, सांस लेने में कठिनाई, गले में दर्द या असहजता शामिल हो सकती है। यह सामान्यत: आयोडीन और थायरॉइड हार्मोन, के अभाव से होता है। गॉइटर की जांच और उपचार के लिए डॉक्टर से परामर्श लेना जरूरी होता है।
घेंघा रोग के प्रकार
- साधारण गॉइटर: जो थायरॉइड ग्रंथि के बढ़े हुए आकार का कारण बनता है, जो की आमतौर पर आयोडीन की कमी के कारण होता है।
- विकृति या मलिग्नेंट गॉइटर: यह ग्रंथियों में गांठ के रूप में विकसित होता है, जो किसी कैंसर के लक्षण हो सकते हैं।
- ठंडकीय गॉइटर: यह गर्मी के मौसम में गॉइटर के आकार में बढ़ोतरी के कारण होता है, जो किसी किस्म के संयोजन की वजह से हो सकता है।
- डिफ्यूज टॉक्सिक गोइटर (Diffuse toxic goiter) – डिफ्यूज टॉक्सिक गोइटर थायराइड ग्रंथि की एक आम बीमारी है। बुजुर्ग व्यक्तियों में यह रोग अक्सर देखा जाता है। इस दौरान थायराइड ग्लैंड में काफी इजाफा होता है और अवसाद व हृदय संबंधी विकार जैसे लक्षण नजर आने लगते हैं। इसलिए, थायरोस्टैटिक (थायराइड हार्मोन उत्पादन संबंधी) उपचार इस घेंघा के प्रकार में काम नहीं करते। ऐसे में डॉक्टर सर्जरी का सुझाव दे सकते हैं। डिफ्यूज टॉक्सिक गोइटर रोगियों को जीवन भर दवा लेने के साथ ही इसको लेकर सतर्क रहना पड़ता है, क्योंकि कभी भी इसकी वजह से आपका स्वास्थ्य खराब हो सकता है।
- नॉन टॉक्सिक गोइटर (Nontoxic goiter)- यह घेंघा आयोडीन की आपूर्ति व चयापचय की असामान्यताओं की वजह से होता है। इस घेंघा रोग का कारण सूजन या नियोप्लासिया (कोशिकाओं में वृद्धि/ट्यूमर) नहीं होता। घेंघा के इस प्रकार में भी थायराइड ग्रंथि में वृद्धि होती है, लेकिन इस वृद्धि के कारण थायराइड के कार्य में किसी तरह का असर नहीं होता।
- टॉक्सिक नोड्यूलर गोइटर (Toxic nodular goiter) – इस तरह के घेंघा की शुरुआत साधारण घेंघा रोग से होती है। यह घेंघा 55 वर्ष से अधिक उम्र वाली महिलाओं को अधिकतर होता है। इस घेंघा रोग में भी आपकी थायराइड ग्रंथि में वृद्धि होती है। इस दौरान ग्लैंड का आकार बढ़ने के बाद वहां नोड्यूल्स (गांठ) बनने लग जाती हैं। नोड्यूल्स बनने के बाद यह अधिक थायराइड हार्मोन का उत्पादन करने लगते हैं।
घेंघा रोग के कारण
- आयोडीन की कमी: यह सबसे सामान्य कारण है, जिसमें शरीर में आयोडीन की कमी होती है, जो थायरॉइड हार्मोन के उत्पादन को प्रभावित कर सकती है।
- थायरॉइड ग्रंथि के रूप में गलती: कभी-कभी थायरॉइड ग्रंथि में कोई गलती हो जाती है, जो घेंघे का कारण बन सकती है।
- जीवाणुओं का प्रभाव: कुछ जीवाणुओं का थायरॉइड पर प्रभाव हो सकता है जो घेंघे का कारण बन सकता है।
- आयोडीन की कमी
- दवाओं का उपयोग जैसे-लिथियम, एमियोडेरोन।
- संक्रमण
- धूम्रपान
- पर्याप्त थायराइड हार्मोन का न बनना
घेंघा रोग के लक्षण
- गले में बढ़ती गांठ: यह सबसे सामान्य लक्षण है, जिसमें गले के नीचे गांठ या सोजिसस देखी जा सकती।
- बात करने या निगलने में कठिनाई: यह भी एक लक्षण है, जिसमें घेंघे के विकास के कारण गले में कठिनाई हो सकती है।
- सांस लेने में परेशानी: कुछ लोगों को घेंघे के कारण सांस लेने में भी परेशानी हो सकती है।
- सांस लेने में कठिनाई
- खांसी
- गला बैठना
- खाद्य व पेय पदार्थ निगलने में कठिनाई
- थायराइड के क्षेत्र (गले के अगले हिस्से) में दर्द होना
- थकान महसूस होना
- गर्मी बर्दाश्त न होना
- अधिक भूख लगना
- पसीना अधिक आना
- महिलाओं में अनियमित मासिक धर्म
- स्टूल (मल) का बार-बार आना
- मासपेशियों में ऐंठन
- घबराहट होना
- वजन कम होना
घेंघा के लिए घरेलू उपाय – Home Remedies for Goiter in Hindi
यहां और कुछ घरेलू उपचार गॉइटर के लिए:
- हल्दी और दूध: हल्दी को गर्म दूध में मिलाकर पिएं। यह गॉइटर के लिए उपयुक्त होता है।
- सामग्री: हल्दी पाउडर, दूध
- विधि: एक कप दूध को उबालें और उसमें एक छोटी चमच्च तक हल्दी पाउडर मिलाएं। उसके बाद इसे ठंडा होने दें और फिर पी लें।
- गुग्गुल: गुग्गुल का सेवन भी गॉइटर को कम करने में मदद कर सकता है।
- सामग्री: गुग्गुल गोलियां
- विधि: गुग्गुल गोलियां दिन में तीन बार खाएं।
- नियमित व्यायाम: योग और व्यायाम भी गॉइटर को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं।
- खीरा: खीरे का रस पीने से भी गॉइटर में लाभ हो सकता है।
- सामग्री: खीरा
- विधि: खीरे का रस निकालकर, इसे प्रतिदिन पीएं।
- अदरक: अदरक का सेवन भी गॉइटर को कम करने में मदद कर सकता है।
- सामग्री: अदरक
- विधि: अदरक को पीसकर उसका रस निकालें और इसे रोजाना ले।
- बादाम: बादाम में मौजूद विटामिन ई और सेलेनियम गॉइटर के लिए फायदेमंद होते हैं।
- सामग्री: बादाम
- विधि: रोजाना कुछ बादाम खाएं या उन्हें पानी में भिगोकर रखें और सुबह खाएं।
- अनार: अनार का रस पीने से भी गॉइटर कम हो सकता है।
- सामग्री: अनार
- विधि: अनार का रस निकालकर, इसे प्रतिदिन पीएं।
- नीम: नीम के पत्तों का सेवन भी गॉइटर को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।
- सामग्री: नीम के पत्ते
- विधि: नीम के पत्ते को पीसकर उसका रस निकालें और इसे प्रतिदिन पीएं।
- पुदीना: पुदीना का रस पीने से भी गॉइटर में लाभ हो सकता है।
- सामग्री: पुदीना
- विधि: पुदीने का रस निकालकर, इसे प्रतिदिन पीएं।
ध्यान दें कि ये उपाय समय लगाते हैं और आपको नियमित रूप से इन्हें अपनाना होगा। अगर किसी भी प्राकृतिक उपाय का इस्तेमाल करते समय कोई संदेह हो, तो कृपया पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
घेंगा के लिए आहार – Diet Plan For Goiter
- सी फूड
- दही (कम वसा वाला)
- दूध (कम वसा वाला)
- आयोडीनयुक्त नमक
- मछली (बेक्ड कॉड)
- सफेद ब्रेड
- चॉकलेट आइसक्रीम
- उबली हुई मैकरोनी
- कॉर्न (मकई) क्रीम
- सूखे आलूबुखारा
- सेब का जूस
- मटर
- अंडा
- केला
- सेब
- चीज़
निष्कर्ष
घेंघा रोग का घरेलू इलाज एक प्राचीन और सबसे प्रभावी तरीका है जिसे सदियों से लोग अपना रहे हैं। यह इलाज सस्ता, प्राकृतिक, और बिना किसी साइड इफेक्ट्स के होता है। यहाँ तक कि आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ने भी घरेलू नुस्खों के महत्व को स्वीकार किया है। अतः, घेंघा रोग के लिए घरेलू इलाज एक अच्छा विकल्प हो सकता है, लेकिन यदि लक्षण बिगड़ते हैं या उच्च स्तर का उपचार आवश्यक होता है, तो चिकित्सा पेशेवर से संपर्क करना भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। समय पर उचित चिकित्सा सेवाएं प्राप्त करना घेंघा रोग को पूरी तरह से ठीक करने में मदद कर सकता है और व्यक्ति को उसके स्वास्थ्य को लेकर चिंता मुक्ति प्रदान कर सकता है।
और पढ़े…………….